Have A Nice Day
Oh! really Nice
बुधवार, 6 मई 2015
सोमवार, 13 अप्रैल 2015
Rainy Day
बे मौसम बरसात
बे मौसम बरसात हुई है ।।
आज तो सारी रात हुई है ।।
कुछ को यह रंगीन लगी है ।।
पर कुछ को संगीन बनी है।।
टूट गये सपने किसान के ।।
रोता नीचे आसमान के।।
मानसून की मार पड़ी थी ।।
एक न तब बौछार पड़ी थी ।।
खून पसीने से सींचा था ।।
अपने सपनों को बेचा था।।
मुश्किल से जो धान पके थे।।
वो मिट्टी के मोल बिके थे।।
अब गेहूँ पर झूम रहा था ।।
उन पौधों को चूम रहा था ।।
आलू सरसों पर इठलाता ।।
अपने बच्चों को समझाता।।
ले आना तुम फीस का पर्चा ।।
कॉपी और किताब का खर्चा।।
नये सूट तुम सिलवा लेना।।
साइकिल नई निकलवा लेना।।
सपनों पर आघात हो गया।
तुमको क्या बरसात हो गया।।
फसल जमी पर सुला दिया है।
फिर किसान को रुला दिया है।।
ज्यों ज्यों पानी बरस रहा है
यह गरीब भी तरस रहा है।।
क्या किसान इन्सान नहीं है।।
सुनता क्यों भगवान् नहीं है।।
rjalexking@gmail.com
रविवार, 12 अप्रैल 2015
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